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11 अक्तूबर 2017

|| रचना : मोगल वंदना स्तुति || || कर्ता मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||

*|| रचना : मोगल वंदना स्तुति ||*
*|| छंद : नाराच ||*
*|| कर्ता : मितेशदान महेशदान गढवी ||*

समस्त सत्व मात तू शशक्त विश्व सारणी,
विरक्त तत्व ध्वस्त रक्त दैत्यसु  विदारणी,
महा  मूरत्त चण्डिके प्रचंड मुंड    मारणी,
चवा गुणाय मोगलं नमस्तु मात  चारणी,(१)

उद्धार तू  उगार  पार वार  दे       उमेश्वरी,
विकार कार तार  जार तार विश्व    ईश्वरी,
भवोभजा भुजंगी कोप ठोचला कु ठारणी,
चवा गुणाय मोगलं नमस्तु मात  चारणी,(२)

अज़ाण पाप   आण  दैत मारणा दहाड़में,
प्रमाण में प्रगट्ट मा  पूजंती   हो   पहाड़में,
खलक्क ख्यात हो हयात सेवगा सुधारणी,
चवा गुणाव मोगलं नमस्तु मात   चारणी,(३)

विखंड दंडके अखंड चंड कालिका विणु,
प्रचंड पंड व्रेहमंड नौ ग्रहा    करे   हिणु,
त्रिशूल हाथ कामळी त्रियाभू लोक तारणी,
चवा गुणाय मोगलं नमस्तु मात   चारणी (४)

गुणाध्य आद्य आत्मजा विशाल रूप गामिनी,
किरात कंद लोभ मुक्त काम  दैव कामिनी,
निकंद मोह क्रोध काल फंद कै  निवारणी,
चवा गुणाय मोगलं   नमस्तु  मात चारणी  (५)

तुहि मया तुहि जया तुही तू शक्ति शारदा,
अपार आर्तनाद *मीत* याचना   दु  आरदा,
धरु नाराच छंद मुख दोष  वित्त   दारणी,
चवा गुणाय मोगलं   नमस्तु  मात चारणी (६)

*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*

*कवि मीत*

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