जय भोलेनाथ
आजे श्रावण मासनो त्रीजो सोमवार छे तो भाईओ आजे भगवान शिवनी स्तुती माणीये
सदा शिव सर्व वरदाता, दिगंबर हो तो ऐसा हो,
हरे सब दु:ख भकतन के, दयाकर होतो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता… टेक
हरे सब दु:ख भकतन के, दयाकर होतो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता… टेक
शिखर कैलाश के उपर, कल्प तरूंओ की छाय में,
रमे नित संग गिरीजा के, रमाण घर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता.… (१)
रमे नित संग गिरीजा के, रमाण घर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता.… (१)
शिरपे गंगकी धारा, सुहावे भालमें लोचन,
कला मस्तक में चंदरकी, मनोहर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता.… (२)
कला मस्तक में चंदरकी, मनोहर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता.… (२)
भयंकर झहर जब निकला, क्षीर सागर के मंथन सें,
धरा सब कंठ में पी कर, वीषंधर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(३)
धरा सब कंठ में पी कर, वीषंधर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(३)
शिरों को काटकर अपने, कीया जब होम रावणने,
दिया सब राज दुनिया का, दिलावर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(४)
दिया सब राज दुनिया का, दिलावर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(४)
किया नंदी ने जा बन में, कठीन तप काल के डरसें,
बनाया खास गण अपना, अमर कर होतो ऐसा हो .
सदा शिव सर्व वरदाता…(५)
बनाया खास गण अपना, अमर कर होतो ऐसा हो .
सदा शिव सर्व वरदाता…(५)
बनाये बीच सागर में, तीन पुर दैत्य सेनाने,
उडाये एक ही सरसे, त्रिपुंडहर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(६)
उडाये एक ही सरसे, त्रिपुंडहर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(६)
दक्ष के यञ में जा कर, तजी जब देह गिरीजा नें,
कीया सब ध्वंस पलभर में, भयंकर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(७)
कीया सब ध्वंस पलभर में, भयंकर हो तो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(७)
देव नर दैत्य गण सारे, रटे नित नाम शंकर का,
वो ब्रह्मानंद दुनिया में, उजागर होतो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(८)
वो ब्रह्मानंद दुनिया में, उजागर होतो ऐसा हो.
सदा शिव सर्व वरदाता…(८)
रचना :- श्री ब्रह्मानंद
टाइप :- सामळा .पी. गढवी मोटी खाखर
कोपी :- चारणनी मोज ग्रुप मांथी
वंदे सोनल मातरम्
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