.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

17 अक्तूबर 2015

माडी तुं तो अंबा आरासुरवाळी-रचयता :- कवि श्री कागबापु

|| जय माताजी ||
आजे पांचमु नोरतु छे
ते नीमिते कागबापु रचीत एेक गरबो माणीये
माडी तुं तो अंबा आरासुरवाळी , अनादि अंबीका
देवोने दु:ख ज्यारे आवे , अनादि अंबीका :

ते'दि तुंने राक्षसना रण भावे , काळी कालीका .
     ......||1||

माडी, तारा रुडा नगारा वागे , अनादि अंबीका : 

त्या तो सुता त्रिभुवन जागे . काळी कालिका .
     .....||2||

माडी . तुं तो नवरात्रे रमनारी , अनादि अंबिका :

तुं तो पावागढ वसनारी , काळी कालिका .
      .....||3||

माडी माडी तारो गरबो सागर गाजे , अनादि अंबिका : 

जेने जोईने असुरो लाजे . काळी कालिका.
        .....||4||

माडी . तारा प्यारा नगारा गाजे अनादि अंबिका : 

तुं तो सेवक साद सुणी थाजे . काळी कालिका.
    ..... . ||5||

माडी . तारे खोळे मुक्ति खेले . अनादि अंबिका : 

तारा हुकम कोई ना ठेले. काळी कालिका.
       .......||6||

माडी . तुं तो घट घटनी घूमनारी , अनादि अंबिका :

माडी. तुं तो "काग" कृपा करनारी , काळी कालिका .
......||7||

टाईप मां भुल होयतो क्षमा करजो
रचयता :- कवि श्री कागबापु
टाईप :- मनुदान  गढवी - महुवा 

          9687573577


       वंदे सोनल मातरम् 

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT