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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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15 नवंबर 2015

जय जुंगीवारा

जय जुंगीवारा
बेह गाममा बीराजेल वीर सोलंकी वछराज नी चोवीसी(24 दुहा) जे नंगा भाई गढवी  (सलाया वारा) ए लख्या छे तेमाथी 12 दुहा ब्लोग पर मुकवानो  नानकडो प्रयास करेल छे  बीजा दुहा हवे पछी मुकवामा आवशे
||1|| बंधन पवित्र बहेन नो, ऐमा साचा सबंध नो सार, आतो तातणा तणो तहेवार, इतो विश्वास भर्यो वाछरा.....

||2||  राजपूत हाथे राखडी इतो बांधे देवल बाइ, इतो जाते चारण जाइ, तारा वारणा लीए वाछरा......    
||3|| बळेव पूनमे बेनळी, अने लागणी थी बांधे लीर एवो विश्व  भरमा विर, तारो  विजय थाय वाछरा. ....
||4|| माथुं तु मागी लेने, तने उतारी आपु आई, मारी बेनडी देवलबाई, तारे वचने बंधाणो वाछरो......
||5||  मरु तोय मागुं नही एवो, राणा तारों रुधिर, तुं बांधव मारो बलवीर मने, व्हालो बहुं  तुं वाछरा......
||6||  मागीश मारा मोतने, अने शुरा नही मागुं शीर, पण साचवी लेजे शूरवीर, एवी विधी जवतलनी वाछरा. ......
||7|| मोढे तुं मागी लेने आज दीलथी देवलबाई, एवा अवसर टाणे आई, तने विनती करे  छे वाछरो....
||8|| माग्यु कदी मले नही वीरा नभ माथी नीर, पण वमळ सर्जे ना विर कदी वहेता जळमा  वाछरा......
||9|| मरे पण मागे नही ऐवी जगमा चारण जात, अमे वाणी करमे विख्यात, ऐवा वेद पुराणे वाछरा...... 
||10|| एवा फेरा मांडवे फरतो त्या आव्यो काने अवाज, आपणा गामनु आज ऐवो वारी गया धण वाछरा.....
||11|| मंगळ फेरा मेल्या ऐवा वरराजाने वेश, पछी खंभेथी हटावी खेश, एवी वरमाल तोडी वाछरा. ....
||12||  ऐवो पलमा घोडो पलाण्यो, धरी नही मनमा धीर, आज विना डरथी विर, ऐवो व्हारे चड्यो तुं वाछरा.. ..
||13||  तलवार लईने त्राटक्यो   अने जबरो खेल्यो जंग, ऐवा अनेक शत्रु ना अंग ते वीरता थी वाढ्या वाछरा. .......
||14|| ऐवा शत्रुओं हता सामटा, मारो वंकडो एकल वीर, ऐवा सोलंकी ऊचे शीर तेतो वार्यो गौधण वाछरा.......
||15|| ऐवी गायो लाव्यो तुं गोंदरे, तने वधावुं मारा वीर, आज खवडावुं रांधीने खीर, मारी वेगळ भूल्यो वाछरा.....
||16||  ऐवो क्षत्रिय सामी छातीए, अने झीले जनोईवध घाव, आज पाछा भरे नव पाव मारी वेगळ ने काज  वाछरा....
||17|| ऐवा वेरीए शीर वधेर्यो  तेदी धड धींगाणु लडे, ऐवी गौमाता ने गळे ऐवा वाग्या घुघरा वाछरा.......
||18||  मस्तक पळयो मैदान मा तेदी धंणेणी ऊठी धरा, ऐवा ईन्द्रलोक नी अप्सरा तारी वाटु जुवे  वाछरा.....
||19||  मींढोळ तूट्यो मेदानमा, मारी व्हाली वेगळ माटे, ऐवी वीरगति नी वाटे, तुतो व्हेलो सीधाव्यो वाछरा. ......

||20|| आव्यो गायने उगारवा, अने राणा ते राखी रीत, ऐवी पाळी बतावी प्रित, आज वसमी घडीए वाछरा......
||21|| तने आशिष देवलआई ना, तारो अमर रहेशे इतिहास, थाशे वैकुंठ मा तारो वास ऐवा विष्णुना चरणे वाछरा......
||22||  ऐवी अडधी राते ऊपड्यो जामनगर पहोची जई, ऐवी सताने चोपडे सही करी, व्हेली सवारे वाछरा. ...
||23|| ऐकलो अस्वार आव्यो, अने धणी हतो धरखम,  ऐवा राणाऐ चुकवी रकम, आज व्याज सहीत  वाछरा.......
||24||  सोलंकी वीर सपूत ने, ऐवी सो-सो भरु सलाम, ""नंगो चारण"" कहे नाम आज वखाणे जगत वाछरा. ...

लेखक: नंगा भाई गढवी
(नंगो चारण) सलाया
मो: 9904888458
टाइप: रामदे पी गढवी  (बेह)
टाइप मा भूल होय तो माफ करजो
   
वंदे सोनल मातरम्

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