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31 दिसंबर 2015

सोनल स्वासो स्वास . रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.     || सोनल स्वासो स्वास ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
आखी नात्य उगारवा,  उरमां उजळी आस.
जोगण बीजे न जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.१
वेन करुं तो व्हालथी, खोळे लेती खास.
जननी जेवी जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.२
हियुं करे ज्यां हाकलो,त्यां, पोगे आयल पास.
जगदंबा ई जोगडा,आई, सोनल स्वासो स्वास.३
पोष बीजाळी पोषती,अमने, माता बारो मास.
जीवन चारण जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.४
छोरुं थी छेटी हवे , मां,  जननी तुं क्यां जास.
जनम अरज के जोगडो, सोनल स्वासो स्वास.५
नरणें भुलीयें नाम तो, आतम रहे  उदास.
जीभे जोगण जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.६
रमती रोमे रोम मां,वळी,  व्रेमंड धर पर वास.
जे द्रस अदरस जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.७
मढडे मंदीर मां मळे, मने, भवां तमांणो भास.
जे घट घट मां जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.८
खलक भ्रमंडां खेलती, रज रज रमती रास.
जोगण चंडी जोगडा, सोनल स्वासो स्वास.९
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