. मनवा दो दीन का महेमान
. ढाळ :- भाई तुं तो भजी ले ने किरतार
. रचना :- चारण महात्माश्री पालु भगत
मनवा दो दीन का महेमान, दो दीन का महेमान,
छोड कपट आलस अंतर से, भजी ले तुं भगवान,
मनवा दो दीन का महेमान.... टेक
छोड कपट आलस अंतर से, भजी ले तुं भगवान,
मनवा दो दीन का महेमान.... टेक
बडे बडे राजा महाराजा, बहु सेना बलवान,
चले गये काल चककरमें (2), रहा न नाम निशान,
मनवा दो दीन का महेमान...1
चले गये काल चककरमें (2), रहा न नाम निशान,
मनवा दो दीन का महेमान...1
महिषासुर हिरणाकंस रावण, आभ अडयो अभीमान,
सुर नर दानव जीत लीये सो(2), हो गये सपन समान,
मनवा दो दीन का महेमान...2
सुर नर दानव जीत लीये सो(2), हो गये सपन समान,
मनवा दो दीन का महेमान...2
तनका मनका भरा भवनका, मत कीजे अभीमान,
कल न परत छन ऐक पलक की(2), कब छुट जावे प्रान,
मनवा दो दीन का महेमान...3
कल न परत छन ऐक पलक की(2), कब छुट जावे प्रान,
मनवा दो दीन का महेमान...3
चला चली आदी से चलती, जल थल सकल जहान,
"पालु" भजन कर अवसर पायो (2), भावाधिन भगवान,
मनवा दो दीन का महेमान...4
"पालु" भजन कर अवसर पायो (2), भावाधिन भगवान,
मनवा दो दीन का महेमान...4
रचना :- चारण महात्माश्री पालु भगत- ववार कच्छ हाले काळीपाट राजकोट
संदर्भ :- श्री सुबोध बावनी मांथी
वंदे सोनल मातरम्
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