अमदावाद छात्रालयना मकान माटे ता. 9-5-1959 ना रोज मळेल सभामां आई सोनलना प्रवचनना केटलाक अंशो.
अमदावादमां माघवसिंहभाई अने केसरभाईऐ मंडळ स्थाप्युं अने बाॅडिंग शरु करी ते माटे तेमने घन्यवाद देवा जोईऐ.
भतृहरि महाराजे कह्युं छे के '' विघाविहीन: पशु: '' ( विघा वगरनो माणस पशु समान छे )
विघा ऐ तो गुरुनो गुरु छे.
चारणो सरस्वती पुत्रो कहेवाय. कालिका पुत्रो नहि. चारणोनी पडती विघानो त्याग करवाथी थई छे. विघा लेवा मांडशुं, ऐटले घन दोडतुं आवशे. चारणोमां बीजी जरुर ऐकतानी छे. ऐकबीजाना गुण जोवा जोईऐ. अवगुण तो धणा दिवस जोया. टीकाओ पण खूब करी.
निंदा कोलसानी दलाली जेवी छे.
'' पारका उपर आघार राखवो नकामो छे. कोई आवीने आपणो उद्घार करी देशे ऐवी निमाॅल्य वातोमां मने कंई रस नथी. आपणे पोते ज आपणो उद्घार करवानो छे. सौ ऐ पग उपर ऊभुं रहेवुं जोईऐ. महेनतमजूरी करी जीवऐ ऐवा जीवनमां ज स्वाद छे.
चारणोमां देवपणुं हतुं ऐ खोयुं, महेनत छोडी, व्यसनो वघ्यां, अज्ञानतानुं अंघारुं फेलाणुं, चारणोऐ उदार बनवानुं छे. अमदावाद बाॅडिंगना पाया पाताळे नाखवाना छे. तेथी सहुऐ पोतानी स्थितिथी बे डगला आगळ हालवानुं छे. वादविवाद करवामां, मतभेदो करवामां कोईनुं भलुं थतुं नथी.
मने पूणॅ श्रद्घा छे माताजी गुजरात पर दया करशे.
जय माताजी
वडीलोना कथनमांथी
प्रस्तुति, कवि चकमक.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें