कच्छ-झरपराना भक्त कवि चारण पुनशी ना कलमे लखायेल कच्छी भजन
रंग आंके पांडव पार्थ,जोको युद्ध जीत्या महाभारत
गांडीव धनुष सें गणे गणा,तेमें सुरा वा समर्थ....(टेक)
अढार अक्षोणीजो लश्कर लड्यो,तेमें विर वडा समर्थ
धड शिसनो धार थया,उडाणा भुजाओंने हथ
द्रोण करण नें गुरु गांगेव जेडा,जगतमें पुरा क्यां परमार्थ
इनी महारथीजो मोत थ्यो,को जणा कृष्णजी कुदरत
वेद जेंजी वंदना करींता,गुण गाइ रह्या अइं सदग्रंथ
से शामळो भनी सारथी,हकलेंते अजृन जो रथ
धर्म ने पापजो लगो धिंगाणो,अाव्या ते हथाेबथ
चारण "पुनशी" चें वालीडो,कुळ कपेने धरम के डनेंते हथ
रचना -- चारण कवि पुनशी गढवी
झरपरा-कच्छ
राग -- सुणी
भक्त कवि चारण पुनशींना ऐतीहासिक भजननो संग्रह नामनी बुकमांथी लीधेल
टाइपिंग -- राम बी. गढवी
नविनाळ-कच्छ
फोन नं. 7383523606
भुलचुक सुधारीने वांचवी
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