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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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17 जुलाई 2016

माँ सोनलने प्राथना...! कवि चकमक

माँ सोनलने प्राथना...!

शुं मागुं तारी पासे माँ
मने तारी कृपा मळे तो बस छे.

शुं करुं घन-दोलतने
सुख-शान्तिनो रोटलो मळे तो बस छे.

नथी जिंदगीमां कोई मकसद
माँ नी भकित करतां करतां मोत मळे तो बस छे.

नथी जोता पद, प्रतिष्ठा, पैसो
मळे तारा दशॅननो लहावो तो बस छे.

माँ सोनल सौनी  संभाळ राखजे
संस्कार सभर जीवन जीवाय तो बस छे.

माँ छोरुंने समजण आपजे
'' चकमक '' चारण ऐक घारण थाय तो बस छे.

जय माताजी.

                     कवि चकमक

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