मारी मोज छे अलगारी
मारी मोज छे अलगारी हुं मोज मां रहुं छुं
नशा मां रहुं छुं तो पण होश मां रहुं छुं
नित्य प्रभात उठुं छुं प्रभु ना स्मरण साथे
करी आराध ऐनो ऐनी खोज मां रहुं छुं
हताशा-निराशा तो संसार ना नियम छे
हुं रहुं छुं जीवंत अने जींदगी जीवुं छुं
होय खिसा खाली तो पण क्यां अफसोस छे
मन भरीने प्रेम नी दील थी मदीरा पीवुं छुं
गीता कुरान वेद धर्म जाणतो नथी कशुं हुं
मानव अवतर्यो छुं "देव" मानवता भणुं छुं
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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