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6 जुलाई 2016

चारण कवि कीशोरदान टापरिया रचित सोनबाइ मां नी चरज

 चारण कवि कीशोरदान टापरिया रचित सोनबाइ मां नी चरज 
सांभळ सोनल साद अमाणो,
आयल फरी आव ने आंटो ..२
वट वचन ने वेवार ना माडी,त्राजवे तोळाइ
तोल विनाना तोलवा बेठा,जीरव्यु ना जीरवाय
सांभळ सोनल साचो ...
वाणी विलासी ने वेणना खोटा,फुल्या बउ फलाय
बोल तो अना तोल विनाना,पाछा जाल्या न जलाय
सांभळ सोनल साचो...
धन मेळववा धर्म ने चुके,फरज भुली जाय
हद मुकी ने हालवा मांड्या,कोइ थी रोक्या ना रोकाय
सांभळ सोनल साचो...
'केदान' कहे कांइ न मांगु,आरदा करुं आइ
भेळीयावाळी भीड भांगजे,आटली अरज करुं आइ
सांभळ सोनल साचो....
 रचना - चारण कवि कीशोरदान टापरीया (केदान) 

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