लखमी बांधे लाडथी, पुनम चंद पिछाण
जोतो वाट्युं जोगडा, राखडीयुं नी रांण
समुद्र मांथी एक साथे प्रकटेल भाई बहेन चंद्र अने लक्ष्मी होई लक्ष्मी जेवी बेन नी राखडी थी भाई चंद्र पुर्ण प्रकासीत थयो अने पुनम देखाई , पण रांण नेे राखडी नी राह जोतो भडका जेवो भाळ्यो, माटे बेनी ना हेत माटे बळी सकनार भाई सूरज भांण ने मारा नित्य वंदन छे
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