छंद इन्द्र बाई माताजी (खुड़द) का
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कर्ता कवि खेतदान दोलाजी मिसण
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देदलाइ थरपारकर (75 साल पूर्व रचित)
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दोहा
आद भवानी इश्वरी, जग जाहेर जगदंब।
समरेयें आवो सायजे , वड हथ म करो विलंब ।।
चंडी तारण चारणों, भोम उतारण भार।
देवी सागरदांन री , आई धर्यो अवतार ।।
जगत पर्चा जबरा, रूपे करनल राय।
आवो बाई ईन्दरा , मरूधर थी महमाय।।
छंद
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(तो) मरंधराय महमाय, जोगमाय जब्बरा।
जठे जोधोंण नाथ ने, ओधार धार आपरा।
खमां खुड़द राय ने, अनेक रूप आपरा।
करां पुकार कांन धार, आव बेल ईन्दरा,
मां आवो साय ईन्दरा ----------------(1)
डंडे घुमंड दाणवां , चोमंड रूप चोवड़ा।
प्रचंड खंड खंड मे, अखंड रूप आवड़ा।
महान चंड मुंड ने, विखंड नार वमरा।
करां पुकार कांन धार, आव बेल ईन्दरा
मां आवो साय ईन्दरा ---------------(2)
सजे सणगार सोळ सार, हार कंठ हिंडळे।
भळक चुड़ नंग भाळ, मेळ झुळ मंडळे।
भलो झळक भेळीयो, रतन रंग रंगरा।
करां पुकार कांन धार, आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा ------------(3)
घमंक वाज घूघरा , ठमंक नेव रंथरा।
दमंक जेम दोंमणी , धमंक पांव युं धरा।
वजे नगार वार वार , ढोल वाज धर्म रा।
करां पुकार कांन धार , आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा ------------(4)
तड़ा तड़ाक ताड़ियुं , कड़ाक वाज कंगणा।
डहक डाक डमरू, गहक राग हे घणा।
रमे केलाश रंग रास, हे प्रकाश हाजरा।
करां पुकार कांन धार , आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा -------------(5)
हमें हिगोळ पुर हांम, तेज सुर क्रम हो।
तठे उमंग नाच तेथ, रीझ मात रम हो।
हिरा रतन ज्योत होत, दीप धुप डमरा।
करां पुकार कांन धार, आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा ---------------(6)
बड़ो अचंभ बाहीयंग, रमाड़ रास रूगळी।
अरधंग कोढ मेट्या आई, राज काज रमळी।
परचा अखंड पार वार , वाट घाट वमरा।
करां पुकार कांन धार , आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा -------------(7)
नरां नर्पाळ नेक पाळ, हाथ जोड़ हाजरी।
देवी दयाळ दुख टाळ, सुख भाळ सधरी।
संभाळ भाळ छोरुआं , ओधार धार आपरा।
करां पुकार कांन धार , आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा --------------(8)
पड़ंत जाय माई पग, आय घाय उगरे।
नमे करग जोड़ नाग, देव हो डिगंम्बरे।
नरां नमंत प्रेम नेम, हो शक्त हाजरा।
करां पुकार कांन धार, आव बेल ईन्दरा ।
मां आवो साय ईन्दरा -------------(9)
कळस (छप्य)
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ईन्दर बाई अवतार, मरूधर में महमाया।
आवो वाहर आज , शकत रूप सवाया।
अरीयों गोंजण एह, दास ओधारण देवी।
संकट मेटण साव, सुरनर जे नित सेवी।
तिण ठाम कोइ तारण तरण तके।
कर जोड़ दास "खेतो" कहे किरतार रूप करणी जके।।
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अथ ईन्द्रबाई खुड़द का छंद सम्पूर्ण
संकलन एवं टाइपिंग :-आवड़दान उमदान मिसण
ग्राम सोनल नगर ता:लखपत कच्छ
मो:9687504163
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