चारण समाज का नाम तो रोशन किया साथ मे भारत का
नाम भी रोशन किया है चारण समाज के रत्न बाइसा ललिता
पुत्री राजवीर दान जी चारण 10 सितम्बर को राष्ट्रपति के
साथ लेफ्टिनेंट परेड का निरीक्षण करेगी हम सब को आप पर
गर्व है ।
जय माताजी
जय माँ सोनल
वह हैं तो आम लड़कियों जैसी ही। बिलकुल दुबली-पतली। हंसमुख स्वभाव। हाजिर जवाब। लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज। बुलंद इरादों की धनी राजस्थान की लाडली 23 वर्षीय ललिता चारण के लिए 10 सितम्बर का दिन अहम होगा जब वह चेन्नई के अफसर प्रशिक्षण अकादमी में देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखजी के मुख्य आतिथ्य में होने वाली पासिंग आउट परेड में 49 सप्ताह का लेफ्टिनेंट का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सेना में कमीशन हासिल करेगी।
ललिता के पिता राजवीरदान चारण 21 जून 2000 को कारगिल में ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हो गए थे। ललिता सात साल की थी जब उनके पिता का शव तिरंगे में लिपटा हुआ उनके गांव आया था। ललिता ने कहा कि उस दुख की घड़ी में उनकी बहन ने कहा कि पिता लौटकर आएंगे लेकिन उनको पता था कि उनके पिता अब इस दुनिया से जा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि उस समय मुझे दुख कम और गर्व अधिक था, क्योंकि मैं उनकी तरह बनना चाहती थी। ललिता चारण ने कहा कि मेरे एक भाई और दो बहन हैं। मेरी मां ने मुझे लड़के की तरह पाला, जबकि हमारे समुदाय में माना जाता है कि लड़कियों की जगह केवल रसाई में है। मेरी मां ने इसका विरोध किया और इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी। फिर परेशान होकर मां ने गांव छोड़ दिया और हम जयपुर आ गए।
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