।। तारा गाम ने पादरे ।।
*अचानक थयु निकळवानु, तारा गाम ने पादरे।
ह्रदय थी लोही निंगळवानु, तारा गामने पादरे।
* कोइ आंगळी चींधी ने कहे " आ जाय छे मारग।
अने नजर नु पथ पर चोटी जवानु, तारा गाम ने पादरे ।
* तु तळाव मा बेडा य नथी भरती के दिदार करी लउं।
मारी उर्मिओ ने आफळवानु ,तारा गाम ने पादरे ।।
* इच्छा थया करे, भभुत लगावी लउ तारा प्रणय नी।
इश्क आलेख उच्चरवानुं ,तारा गाम ने पादरे ।।
* लगावी लो रावटी दोस्तो सांज ढळती जाय छे।
रात रहेवानु छे बहानु ,तारा गाम ने पादरे ।।
* तु जाणे तो मळ्या विना जवा न दे ऐ य जाणु छु।
ऐटले जता रहेवु छानुछानु ,तारा गाम ने पादरे ।।
* झाड, तळाव, पंखी, मारग, जोवे छे "जय" नी वेदना।
कोइक तो तने जरूर कहेवानु ,तारा गाम ने पादरे ।।
* * * * * * * * * * * *
-कविः जय।
- जयेशदान गढवी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें