आज क्योटो(जापान ) मैं आयोजीत रामकथा मैं पू.मुरारी बापु ने मिलिन्द गढवी की एक गझल को व्यासपीठ सें पढी
तेरे चरणों को पाना है
फूलों जैसा बन जाना है
तेरा प्याला मेरी माला
अपना अपना मयखाना है
दो तरफ़ा रिश्ता है प्यारे
वो भी अपना दीवाना है
तुम भी गठरी बाँध के रखना
तुमको भी तो घर जाना है
रचना :- मिलिन्द गढवी
(संकलन :- मोरारदान सुरताणीया )
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