कर कीरण थी कास्यपा, हळवे फेर्यो हाथ
त्यांतो
नवेय खंडो नाथ, जळकी उठेल जोगडा
हे भगवान सुर्य नारायण आप मांथी पृथ्वी छुटी पडेल होई पृथ्वी ए दीकरी छे,आप एना बाप छो , अने आपनो कीरण रुपी कर (हाथ) ज्यां धरती ना माथे फर्यो त्यांतो एना नवेय खंडो जळहळी उठ्या ,दीकरी पर आवुं हेत वरहावनार बाप सुरज नारायण मारां आपने नित्य वंदन छे
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