.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

11 सितंबर 2016

शकित वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*शकित  वंदना*

        *कवित*

बडे भाग्य वारी भगवती
भई  देखो  जंहा,
जेहि चितवत होवे जबरी
जबान हे,

बहू समजायो नृप मांडलीक
मान्यो नाहि
किनो कोप मात नागबाई का
नीधान हे,

उथलायो रा' तबे पलटायो
पाट जूनो
मूहमदको दिनो राज जाहर
जहांन हे,

कहे *दिलजीत* बाटी आई
अवतार लेवे
यही कूल चारण की नामना
महान हे;....(1)

एक साद सूण्यो तब उतरी
आकाश हूते
रख्खी लाज पिथलकी मां बडी बलवान हे,

लाला हूको रुप लिनो बेठी
मात डोली बिच,
आई राजबाई बणी अग्नी
समान हे,

पर्यो पाय हाथ जोडी डर्यो
बादशाह खूद
बीकराल देख्यो रुप सिंहनी
समान हे,

कहे *दिलजीत* बाटी आई
अवतार लेवे
यही कूल चारण की नामना
महान हे;.....(2)

घृत बिकने के काज आई
सरधार आई
सयर संगाथ हसे गान
गूलतान हे,

जीवणी निहारी तबे भूल
करी बेठो भूप
जाओ बूलाओ अंग अती
अभीमान हे,

चलो शब्द सूण्यो त्यातो
सिंहमूख वारी बणी
बाकर संघारी थप्पयो पीर
परमान हे,

कहे *दिलजीत* बाटी आई
अवतार लेवे
हम कूल चारण की नामना
महान हे,....(3)

*चारण आई वंदना*

*दिलजीत बाटी* ना रदय
थी जै माताजी *ढसा जं.*
मो.... *9925263039*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT