चाहे तो अमीर रहे चाहे तो फकीर रहे
रचयिता : राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर
कवित
चाहे तो अमीर रहे चाहे तो फकीर रहे ,
चाहे तो वजीर रहे राज सनमान में ,
चाहे निज देश रहे चाहे परदेश रहे
चाहे तो मलिन रहे चाहे खानपान में,
चाहे मलहीन रहे चाहे जनदीन रहे ,
तेसे परबीन रहे लीन गानतान में ,
पिंगल भनंत परवाना जब आवेपास,
सिंहाना दिवाना तऊ डेरा समसानमें.
संकलन : अनिरुद्ध जे. नरेला
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