राम बिना सुख स्वपने नाहिं, क्यों भूले गाफिल प्रानी रे. टेक
धन यौवन बादल की छाया, देख देख तुं क्यों ललचाया.
माटी में मिल जावे काया, रहे न एक निशानी रे .… राम बीना…
उपदेश देवे सन्त सुजाना, थके पुकारी वेद पुराना.
किरतारने तुजे दियादो काना, अजहु रहे अञानी रे… राम बीना…
मिथुनाहारमग्नमतिमन्दा, और सार समजे ना अन्धा.
अपनी भूलसे आप हि बन्धा, पडे चोरासी खानी रे…राम बीना…
थार्यो कहे छोडदे आशा, जूठा है सब भोग विलासा.
दो दिनका ये देख तमासा, आखर है सब फानी रे.… राम बीना …
रचना:-थार्या भगत
टाइप :- सामरा पी गढवी ना जय माताजी 🌻🙏🙏🙏🌻
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