🌹 खोडियार ख्याता अन्नदाता 🌹
रचयिता : राजकवि पिंगलशीभाई पाताभाई नरेला. भावनगर
॥ दोहो ॥
अन्न उपावण अवनिमां , मन रिजावण मात ,
घात मिटावण घट तणी , ते खोडियार प्रख्यात.
॥छंद : भाखड़ी ॥
थानक ठाहरे जी के दीपत डूंगरे ,
सूंदर सरवरे जी के ध्रुपद गळधरे,
गळधरे ध्रुपद वहे गंगा, नाय अंगा अध नसे,
कई अंध पंगा करे ओळग, हरे दुःख मुखथी हसे,
कामली काळी त्रिशूलाली, सिंघ स्वारी शोभणी,
खोडियार ख्याता, अन्नदाता, जगत माता जोगणी,
जीय जगत माता जोगणी...टेक...1
दीपक तुपरा जी के धुमरा धुपरा ,
वर्णन रुपरा जी के अंग अनूपरा,
अनुपम्म शोभत अंग उजवळ, जोत जळहळ जोपती,
कर चुड खळहळ हार हींडळ , उग्र कांन्ति ओपती,
घुघरी धमधम सुर छम छम, रास रमज़म रम्मणी.
. खोडियार ख्याता, अन्नदाता......2
मामड मातरी जी के मीणल मातरी ,
खेतल भ्रातरी जी के चारण जातरी,
जातरी चारण शाख मादा, असुर मारण अवतरी,
कवि भक्त कारण सुख वधारण, वंशतारण विस्तरी,
शरणे उगारण धर्म धारण , पाप जारण परवणी.
खोडियार ख्याता, अन्नदाता.......3
दिन नवरातरा जी के मंदिर मातरा ,
पोर प्रभातरा जी के जबरी जातरा,
जातरा जबरी लोक जाजा , महाराजा त्यां मले,
जय जय अवाजा बजे बाजा, सरे काजा भय टले,
तन होय ताजा पुन्य पाजा, पयवटा थट पोखणी.
खोडियार ख्याता अन्नदाता.....4
बांधें बारणां जी के पुत्रो पारणां ,
करे जुवारणां जी के लेवे वारणां,
वारणां लेवे वंज़ वनिता, सुतवती थइ संचरे ,
चंद्रमा पुरे शाख सविता, कविता 'पिंगल' करे,
भक्तां सकळने लाभकारी, मात सो पारसमणी.
खोडियार ख्याता अन्नदाता......5
संकलन: अनिरुद्ध जे. नरेला. भावनगर.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें