.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

2 सितंबर 2016

धन्य चारण कूळ ने.. रचना ;-दिलजीत बाटी

*जय  मां  सोनल*

          *प्रभाती*

हे..धन्य चारण कूळ ने ज्यां
आई सोनल अवतरी..2..टेक.

आबू वाळी आई अंबा
नेहडा मा निसरी,
सूख संपत समृधी ना
मां भंडार दिधा छे भरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(1)

भेळीया वाळी भीर हरवा
शूध वरण मा संसरी,
अधम उधारण तिमीर टाळण
भाण सरुपे भै हरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(2)

घम्मर वलोणा घूघवे जेम
नोबत गाजे नभ तणी,
दूध गोरस घी माखण नी
घाण्यू आवे छे घणी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(3)

महिं माट लई मारग हाल्या
नेहडा थी नगर भणी,
वसूंधरा ना फळीये रुडा
फूल नी फांटू भरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(4)

अष्ट सिध्धी नव निध्धी नी
नरवी नदीयू भरी,
वहे प्रवाहे वालप वारी
पवित्रता ज्या परवरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(5)

चारण छोरु ने आई सोनल
धींगो वसीलो छे धणी,
प्रभाते *दिलजीत बाटी*प्रणमे
मां भेर करजे मू भणी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(6)

     *जय मां सोनल*

*दिलजीत बाटी*ना
जय माताजी  *ढसा जं.*

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT