*जय मां सोनल*
*प्रभाती*
हे..धन्य चारण कूळ ने ज्यां
आई सोनल अवतरी..2..टेक.
आबू वाळी आई अंबा
नेहडा मा निसरी,
सूख संपत समृधी ना
मां भंडार दिधा छे भरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(1)
भेळीया वाळी भीर हरवा
शूध वरण मा संसरी,
अधम उधारण तिमीर टाळण
भाण सरुपे भै हरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(2)
घम्मर वलोणा घूघवे जेम
नोबत गाजे नभ तणी,
दूध गोरस घी माखण नी
घाण्यू आवे छे घणी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(3)
महिं माट लई मारग हाल्या
नेहडा थी नगर भणी,
वसूंधरा ना फळीये रुडा
फूल नी फांटू भरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(4)
अष्ट सिध्धी नव निध्धी नी
नरवी नदीयू भरी,
वहे प्रवाहे वालप वारी
पवित्रता ज्या परवरी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(5)
चारण छोरु ने आई सोनल
धींगो वसीलो छे धणी,
प्रभाते *दिलजीत बाटी*प्रणमे
मां भेर करजे मू भणी,
हे..धन्य चारण कूळ ने..(6)
*जय मां सोनल*
*दिलजीत बाटी*ना
जय माताजी *ढसा जं.*
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