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21 सितंबर 2016

आई श्री पीठड वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गज

*आई  श्री  पीठड*
         "चरज"
राग..लळी लळी पाय लागू...

नवखंडमा नाम तारु मां कांडू
जालो मारुरे, पीठड माडी..टेक

हवे धा'सूणीने ध्रोडो में कीधा गूना करोडो,
माजी ना मूख म्रोडोरे पीठड माडी...1...नवखंडमां

महातमछे मानू मोटूं खलकमा
बधू खोटूं,
देवी क्यां बिजे दोटूंरे पीठड माडी...2.. नवगंडमां

अमने छे आजो तारो आवीने मां उगारो,
विघन बधा विडारोरे पीठड माडी...3...नवखंडमां

भवदधी छे भरेलो त्रापो महि
त्रृटेलो,
हळवेथी देजो हेलोरे पीठड माडी...4...नवखंडमां

फळ फूलथी फूलेली अम वंश हूंदी वेली,
बळवंत रेजो बेलीरे पीठड माडी...5...पवखंडमां

छे मां छोरुनो नातो भूल्यो नथी भूलातो,
जोजे न करीश जातोरे पीठड माडी...6...नवखंडमां

*दिलजीत* ने बाळ जाणी करो लाड केरी *लाणी*,
बूढी छो *बाटीयाणी*रे पीठड
माडी...7...नवखंडमां नाम

*आई  श्री  पीठड  वंदना*

*दिलजीत बाटी  ढसा जं.*
ना जै माताजी.मो.9925263039

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