*फोगट गयो अवतार*
रोज सत्संग करता,पण समजे नहीं सार
प्रसाद दोष वर्णता,फोगट गयो अवतार
काम,क्रोध,लोभ थी,मन छुटे न पल वार
लाख पुण्य करताये,फोगट गयो अवतार
बोल कडवा बोलतां,अपशब्दो तो अपार
नित्य निंदा जे करता,फोगट गयो अवतार
सुधारे नहीं कोईकनुं,बगाडता करे न वार
अवणा मार्ग चींधता,फोगट गयो अवतार
सुणे नहीं कोई रंकनुं,रंजाडे जई धर-द्वार
मन दुभावे निर्दोष नुं,फोगट गयो अवतार
सज्जन घेर जन्मे,ने दुर्जन वर्ताय विचार
जेनी आंखे जेर भर्युं,फोगट गयो अवतार
मदीरापान करतां,अने पशु तणो आहार
लाख गंगा नहातां ये,फोगट गयो अवतार
आदरभाव न जाणती,ऐनो बने भरथार
गुलाम बनी रहेतो,फोगट गयो अवतार
मातृ-चरण भुलीने,ते पुजे निज घर नार
पितृ रूण न उतरे,फोगट गयो अवतार
देव कहे जो समजो,नानी वातो बे-चार
तेम छतां न समजे,फोगट गयो अवतार
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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