*ऐ श्वास मले तो कहेजो*
ऐ श्वास मले तो कहजो
तो हुं धबकार नोंधावीश
निश्वार्थ मले तो कहेजो
तो हुं सत्कार नोंधावीश
ऐ श्वास मले..
यांत्रिक थई गई छे हवे
आ मानवनी जिवनक्षैली
जीवन मले तो कहेजो
तो हुं होंकार नोंधावीश
ऐ श्वास मले..
आज ह्रदयनी वातो ने
भीतर साचवे छे लोको
ई खुला मले तो कहेजो
तो हुं विचार नोंधावीश
ऐ श्वास मले..
आम तो हवे जीवन ऐक
लौकांकी बन्युं छे "देव"
आ पत्रीका मली गई हवे
तो हुं व्यवहार नोंधावीश
ऐ श्वास मले..
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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