खोटी निराशाओ राखी नथी
पारकी आशाओ ने राखी नथी
आंसुओ थया छे मोती हवेथी
में सस्ती आ आंखो राखी नथी
बंध कर्या हवे में रस्ता तमाम
छटक बारीओ कोई राखी नथी
पारदर्शी छुं हजीपण जोतो हुं
पर्दे कदीये प्रितने में ढांकी नथी
मुक्त छे हवे सौ,मनस्वी थवा
बाहेंधरीओ कोईज में राखी नथी
शक्य छे वाटे मणीऐ क्यारेक
ईच्छाओ बाकी कोई राखी नथी
अस्तित्व शोधवा निकणुं हवे?
खुद मां खुद मारी ऐ झांकी नथी!
क्षीण पथ्थर शिल्पकार शुं करे?
कोतरणी माटे जग्या राखी नथी
परीक्षा मां अनुतीर्ण थयो पण
तैयारी मां कोई खामी राखी नथी
पुस्तको तमाम रटी गयो "देव"
अध्याय हवे ऐक पण बाकी नथी
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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