*|| रचना -धुनल मा रो परचो ||*
*|| छंद -भुजंगी ||*
*|| कर्ता -मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
*दोहा*
*जन्मी शगती तारवा,*
*भगतो री जंजाळ,*
*वन्दु तुज ने मावडी,*
*धुनल तु रखवाळ,*
*धारण सिहा रुप तु,*
*वटकी माथे राय,*
*खटकी रा मन माय,*
*तारा परचा रे परखाय,*
*|| छंद - भुजंगी ||*
जन्म धार धर पे धरी रुप आइ,
प्रति सेवकारी रखण काज माइ,
दयाळी दया दाखनी सुख शरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(1)
समय काळ पे तुजरो हक्क पावे,
अति क्रूर दैत्यो नजिक नाही आवे,
मीठन गाव मे आण ही तोळी फरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(2)
समय वि.सवंता,मीठन मे तु जनमी,
पिता शिव नामे,घरा कुळ प्रणमी,
खरो खेल रच्यो रिदय हाम धरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(3)
गयो हिंगलाजे पिता दर्श करने,
पड़यो वाट मे भंग लाग्यो उतरने,
छहु मास आरादना हिय भरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(4)
प्रसन्ना हुए मातही वर दिन्ना,
चमत्कारी अश्व एही हाथ किन्ना,
सिधाया मीठन को हिता हाम ठरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(5)
करी भेट ठाकुर को लाइ घोडी,
सुणी बात आया अखेराज धोडी,
खबर आइ सुणा करा देह हरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(6)
रिवाजा तणा देह देता जम्हारा,
तभी मात आइ बनी के सहारा,
नखा नौ करी रुप सिंहाय वरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(7)
अणी लोह दन्ता,धरी मुख माजी,
बनी सिंह डणकी,घणण घाट गाजी,
कृपा की करुणा,बनी काळकरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(8)
पछाडी अखेराज पंजे थपाट्यो,
चडी उपरे देह को भर दाटयो,
बचावो दयाळी जगत ताप तरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(9)
करी माफ़ रा"ने सुखा धाम थाप्या,
नही पग मेले बिजा वेण आप्या,
हिंडोळे हिचकता गहन आभ सरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(10)
नमु आइ रखो सदा आप चरणे,
हरी कु विचारो,सदा राखो शरणे,
गुणा *मीत*गावे,बनो पाप गरणी,
जपा जाप धुनल महा दु:ख दरणी,(11)
*जय माताजी*
🙏--------- *मितेशदान(सिंहढाय्च)* ----------🙏
*कवि मीत*
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