*|| रचना- व्हाली दिकरी ||*
*||छंद -भुजंगी||*
*|| कर्ता-मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
*बाप अने दिकरी नो प्रेम अपार होय छे,बाप माटे दिकरी एटले एनो अडधो जीव,,*
*ए दिकरी ने एना मा बाप लाड कोड थी मोटी करे,एना हरख,एनो प्रेम,एना सपना आ बधुय दिकरी माटे समर्पित करी दिधू होय,अने मोटी थै गया पछी दिकरी ए बाप ,तथा एने नव महीना उदर मा राखी मुश्केली वेठी होय ए जन्म आपनार मा,ने छोडी घडीक ना अमुक दिवसो ना प्रेम ने खातर घर छोडी ने जती रहे छे,तो एना मा बाप पर त्यारे शु वित ती हसे,*
*|| छंद - भुजंगी ||*
घणा लाड़ कोडे मे तुने जणीती,
जरुरी बधी वात पुरी करीती,
हैये व्हाल धारी बनी दिकरी तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(1)*
रुडा खोडले मे रमाडी सुवाडी,
रुदन तारू जोइ खभे मे भमाडी,
करम ना ए कोडो भुली का गयी तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(2)*
नसीबो का पासा थया आज मारा,
पले पल नी यादो थकी थ्या अंधारा,
हरख ना हिंडोळा मा हेते रही तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(3)*
घड्यो एक पुत्री तणो प्रेम प्यालो,
भर्ये नित हैया समो नित न्यालो,
मीठा नीर खाली करी क्या गयी तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(4)*
भले ते रडाया अमो ने बे आंसु,
अणखोटे भरावीभुलावी ज जासु,
करी माफ़ भुलो वरीजा अही तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(5)*
कहे *मीत*तुने भली दिकरी था,
पिता प्रेम ने मात को विसरी ना,
करी प्रेम गाठो बनी जा कळी तु,
छता आज छोडी गयी का मने तु, *(6)*
🙏---------- *मितेशदान(सिंहढाय्च)*----------🙏
*कवि मीत*
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