*||चरज- आइ धुनल मा क्रोध करो नही ||*
*||ढाळ- काळजा केरो कटको मारो ||*
*||कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
*||ढाळ- काळजा केरो कटको मारो ||*
*||कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
आइ धुनल मा क्रोध करो नही,
चरणे लागू पाय,
जगदम्बा जगजननी तुने,
विनवु छु शरमाय,(टेक.)
चरणे लागू पाय,
जगदम्बा जगजननी तुने,
विनवु छु शरमाय,(टेक.)
सिंहधरी रुप कोप किधो ते,
काळ बनी तु आइ,
दाँत लोहा हथियार बनावी,
आण तोरी फरकाइ, (1)
काळ बनी तु आइ,
दाँत लोहा हथियार बनावी,
आण तोरी फरकाइ, (1)
आभ गाज्या ने राव चकरायो
कहर्यो हाहाकार,
वीज चमकी ने तेज फेलाणो,
चार बाजू चहकार, (2)
कहर्यो हाहाकार,
वीज चमकी ने तेज फेलाणो,
चार बाजू चहकार, (2)
आंख जुओ जाणे आग फूँकाणी,
ए तो काळका नो अवतार,
हाथ नवे हथियार सजीने,
आविया तारणहार, (3)
ए तो काळका नो अवतार,
हाथ नवे हथियार सजीने,
आविया तारणहार, (3)
कोप करो नही मावडी मोरी,
,माफ़ करो ने आइ,
बाळ गणी ने साय करो,
मारी आरदा सुणो बाइ, (4)
,माफ़ करो ने आइ,
बाळ गणी ने साय करो,
मारी आरदा सुणो बाइ, (4)
भुल हती मारी एटली के,
मे लोभ किधो मन माय,
पाप समा मे पोटला बाँधी,
क्रोध मा पाम्यो काय,
(5)
मे लोभ किधो मन माय,
पाप समा मे पोटला बाँधी,
क्रोध मा पाम्यो काय,
(5)
एक थपाटे रोळियो रा ने,
भोय पछाड्यो पाय,
आण दिधी ए गाम सेमाडे,
पग मेले नही राय,(6)
भोय पछाड्यो पाय,
आण दिधी ए गाम सेमाडे,
पग मेले नही राय,(6)
कर जोडाणा ने नाद वर्ताणा,
धुनल ना जयकार,
आइ गया उडी आभमा त्यातो,
आभ थयु चमकार,(7)
धुनल ना जयकार,
आइ गया उडी आभमा त्यातो,
आभ थयु चमकार,(7)
तुज वीणा नथी कोइ आधारो,
जीव छते घट माय.,
आइ कृपा नित राखजे अम पर,
*"मीत"*तोरा गुण गाय,(8)
जीव छते घट माय.,
आइ कृपा नित राखजे अम पर,
*"मीत"*तोरा गुण गाय,(8)
--------- *मितेशदान(सिंहढाय्च)* ----------
*कवि मीत*
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*धुनल मा का स्थान(गाव मीठन,तेहसील,रेवदर,जिल्लो सिरोही,राजस्थान)*
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*खरो भाव भक्ति तणो,*
*हैये राखण नार.*
*संचालक सम भरतसिंह,*
*मित्र भलो इ यार.*
*हैये राखण नार.*
*संचालक सम भरतसिंह,*
*मित्र भलो इ यार.*
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आइ श्री धुनल मा की जो मेने चरज रची है उसके लिये मे खरेदिल से श्री भरतसिंह जी का आभार व्यक्त करता हु,
उन्होने मुजे आइ श्री धुनल मा के बारे मे बताया,आइ श्री का इतिहास लिखके भेजा
उसके लिये धन्यवाद केह्ता हु भरतसिंह जी मीठन को.
उसके लिये धन्यवाद केह्ता हु भरतसिंह जी मीठन को.
*जय.माताजी*
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