*|| रचना- श्री गणेश वन्दना ||*
*||छंद- नाराच(चतुस्पदी)||*
*||कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च)||*
*||छंद- नाराच(चतुस्पदी)||*
*||कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च)||*
प्रथम पुजन प्रार्थये,गणात इश गणपति,
हरे अनेक कष्ट दोष ,नाम देत शुभमति,
स्वरुप रुप प्रणव दैव गजमुखाय वैदतं,
नमो नमस्तु वन्दं,विनायका शिवा सुतं,(1)
हरे अनेक कष्ट दोष ,नाम देत शुभमति,
स्वरुप रुप प्रणव दैव गजमुखाय वैदतं,
नमो नमस्तु वन्दं,विनायका शिवा सुतं,(1)
सुमुख कपिल विकट भाल चन्द्र हैरम्बकं,
कपाल तिलक त्रिशूल धार,महागजायकर्णकं,
भुजाय चार अग्र सुंढ,अरुणवर्ण शोभितं,
नमो नमस्तु वन्दं,विनयका शिवा सुतं,(2)
कपाल तिलक त्रिशूल धार,महागजायकर्णकं,
भुजाय चार अग्र सुंढ,अरुणवर्ण शोभितं,
नमो नमस्तु वन्दं,विनयका शिवा सुतं,(2)
सु सांप्रदाय गणपते,पुजन्त एक दन्तकं,
रिद्धी सिद्धीविनयका,प्रिये सवारी मुशकं,
मनोमुकुर मुकुटधार,त्रणेय लोक पुजीतं,
नमो नमस्तु वन्दनं,विनायका शिवा सुतं,(3)
रिद्धी सिद्धीविनयका,प्रिये सवारी मुशकं,
मनोमुकुर मुकुटधार,त्रणेय लोक पुजीतं,
नमो नमस्तु वन्दनं,विनायका शिवा सुतं,(3)
चैदाह प्रेरकं तुही,सदाय ज्ञान पोषकं,
प्रतिक रुप ओमकार,विघ्नहर विनाशकं,
गुणाय मीत मंगलं,गावतं गणाधितं,
नमो नमोस्तू वन्दनं,विनायका शिवा सुतं(4)
प्रतिक रुप ओमकार,विघ्नहर विनाशकं,
गुणाय मीत मंगलं,गावतं गणाधितं,
नमो नमोस्तू वन्दनं,विनायका शिवा सुतं(4)
------------- *मितेशदान*-------------
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