. *||कटम नो कंकास||*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
. *ढाळ: भणुं शे भगवान*
कटम नी कंकाश, हजीये लेवा ना दे हाश
केवो जोने कटम नी कंकाश...टेक
विर क्यो ई विभसण थई खुटल निकळे खास
आज नो नई दोष आतो ,त्रेता जग थी त्रास
केवो जोने कटम नी कंकाश....01
कुरु खेतर वाढे कटमी लेवा ना रे लास
अंतर मां बस एक आसा, गळचवा ने ग्रास
केवो जोने कटम नी कंकाश....02
आवे नई अद बेहरा भले, रदय ने ई रास
मातम राखी मोटप्युं नु, वेरी मां कर वास
केवो जोने कटम नी कंकाश....03
पोता ना जण वाढे पग तो, अवर नी शुं आस
कटम उठीन काळ वरहे, छांटो ना दे छास
केवो जोने कटम नी कंकाश....04
काळज एवा काळां जांणे ओली, डाकण एनी दास
जोगीदान के जांणो एनो, नकीय थासे नास
केवो जोने कटम नी कंकाश....05
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