*|| महाराणा प्रताप ||*
*|| कवित ||*
*|| कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
मेवाड़ी सपूत सुरो बलसाळी धुरंधर,
हिन्द को बचावनार वीर परताप है,
मान अति बुद्धि मानीशान शमशेर वाली,
जिगर है शेर का वो नाप ही अनाप है,
ढाल धरी कर पर भारी बखतर तन,
रख्खी तलवार धार कमर कसायो है,
धरा परे नाद भयो जय परताप तूने,
युद्ध करी नाम किधु हिन्द हरखायो है (1)
लगन रचायो अगियार पटराणी संग,
एक नहीं पुत्र कीधा सत्तर सजाग है,
सिसोदिया राजवंश कुळ माही राज किनो,
संकलप दृढ वीर नीडर अथाग है,
स्वाभिमानी शुरवीर वीरता को मानभरी,
हल्दी घाटी में अकबर को हरायो है,
धरा परे नाद भयो जय परताप तूने,
युद्ध करी नाम किधु हिन्द हरखायो है,(2)
अणखुट बाहुबल चेतके सवार थइ,
तळळ त्राटकी पूरा मैदान गजावे है,
सरर सरकी जातो वेगिलो सरप जाणे,
तरापि झपाट मारी शत्रु को डरावे है,
देश की चाहना लिए युद्ध कर जायो यही,
साचोय सपूत वीर मेवाडो करायो है,
धरा परे नाद भयो वीर परताप तूने,
युद्ध करी नाम किधु हिन्द हरखायो है,(3)
स्वतन्त्र कराया हिन्द रखेवाळ बनी तूने,
पड़कार करी हर दुष्ट को हटायो है,
चलाई अजब चाल हराया मुग़ल मान,
नालका कुदावीघोड़े राणा को बचायो है
वीर तू सपूत जियो लाख है सलाम तूने,
जग को जणायो *मीत*प्रताप कहायो है,
धरा परे नाद भयो जय परताप तूने,
युद्ध करी नाम किधु हिन्द हरखायो है,(4)
*हल्दी घाटी ना युद्ध माँ ज्यारे राणा प्रताप युद्ध करवा मैदान माँ उतर्यो त्यारे दृश्य केवु जोवा मले,*
सणण सटाक देती बरछी उगामी भारी,
हणण हाटक्या वेरी मारी भी कटार है,
बटक बाटियां धड़ भाग मथ्था काट कर,
वैरियों रकत्त रंग लाल चटकार है,
सेना को भगायो भय भारी दरशाइ इको,
दिखायो मेवाड़ी रूप रंग दरबार है,
मीत परताप आण फरकी मुग़ल माथे,
कंश पे सवार जैसे कान किरतार है,(5)
*🙏~~~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~~~🙏*
*कवि मीत*
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