*|| नरसिंह अवतार ||*
*|| छंद - पद्धरी ||*
*||कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
कलियुग घोर अति चढ़त जोर,अविनाश दैत कर रहत शोर,
पृथ्वी प्रचंड प्रति पळ पुकार,सुण सकळ विश्व सरजन्नहार,(1)
कुळ कपट्ट छल मद मोह मान,अभिमान घड्यो मन अड़ग ठान,
वरखम भुजबल क्रोधी विशाळ ,असुरा सुर अड़ख़म दैत्य काळ,(2)
हिरण्या कश्यप मती भर गुमान,नहीं भजत भक्ति भटक्यो सु भान,
हरी गुण नित श्रवणे सुणत नाद,कोपित भय नित नित पर प्रे'लाद,(3)
सुखदा भक्ति तन मन धरीय,नित सुमिरन साचो श्री हरीय,
भजतो सत भावे विष्णु गान,जाणी जग भगति उच्च मान,(4)
भक्ति धुन सुण गुण दिन्न रात,हिरण्या कश्यप मन अकळ थात,
आपत दख अनहद को प्रे'लाद,वेरी बन जावत हरीय नाद,(5)
पट कायो पत्थर पर पहाड़ रोळ्यो हाथी गत वंत पाड़,
डूब कायो समदर बार बार,बाळ्यो खोडे होलिय नार,(6)
हरी हर मुख रट रट प्रतिय पल,बच जावत शरणम छकीय छल,
परगट परसन्न हरी हर सभेय,प्रेहलाद मति मन धरण तेय,(7)
ताप्यो हळ हळ बळ थंभ लाल,भेट्यो बथ भर कर चकित काल,
कळळ कळ तुट्यो थंभ ताड़,,नरसिंघ प्रगट भयो दैत द्हाड,(8)
घर बार न अंदर घर वचेय,हथियार धरंत न कर हथेय,
जकङ्यो हीरणा कश्यप पगेय,नख खोपत दल मही रक्त पेय,(9)
त्राडत नर सिंघो क्रोध मन्न,निरख़त देवा सब भय मगन,
शरभा रूप महादेवा पधार,करियो सुख शांतम मन दूकार,(10)
हरि हर भजता नित सुख सरेय,प्रति पळ मन दुःख से ना डरेय,
मंगल गुण तोरा नीत नीत,भगति मन ध्यावत मीत *मीत*,(11)
*🙏~~~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~~~🙏*
*कवि मीत*
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