*|| जगदंब गान ||*
*|| गीत - सपाखरु ||*
*|| कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
आद्य आवड़ा अवनी परे आविया प्रगट अंबा,
बाई ते सोषिया सर हाकडा बेठाय,
ते तो मारिया तेमडा कुळी हूण सेना दैत तणा,
नामणा तेमडराइ बिरुदा नवाइ, (1)
तनोट दरस दिए तणु को तारियो तूने,
राखस विडारी बनी घंटियाल राइ,
नर नूरन अडिये चिर नावत सकत नार,
नागण सरूप आद्य नागणेची नाइ, (2)
थाप थापिये ठेरायो भाण आण कु बनाई थंभ,
धोडती मावड़ी सुणी मेरखारी धाह,
खोबे कुंभ झाली हाली खोडली बनिए खोड़ी,
सजीव मेरखा किये सुखकारी स्हाय, (3)
चूड़ा खांडा बकसाया हाथा विजया चूड़ाला
वर राव दिया नहीं थिए वेरिये वराय,
पाडा सोषिया थपाट देता रुधिरे छलाया पाळा,
खप्पर भराया लहू नाया खोड़ीयार, (4)
वळा पुराणा वरुड़ी त्रुठी राव नवघण वाटे,
परचे जमाडी सेना कुरडी प्रमाण,
पान पीपळे बणाया सोन ठामणा ठेराया पाटे,
सोषियो समुद्र नवघण को सहाय, (5)
रुड़ा सिंहढाय्च कुळ माही देवला सुखाय रही,
कीनिया चारणा घरे करणी कृपाय,
आशापूरा आद्य देवी कच्छ राज तणी आई,
जोगणी खुबड़ी शेण सत जगमाय, (6)
नागबाई नेजाड़ी भुजाय वीस धारनार,
तारणार त्रिपुराळी मया तजगार,
हेताळी *मीतेय* रिदै हाजरा हजुर माडी,
वृख धार तार तार सेवकारी वार, (7)
*🙏~~~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~~~🙏*
*कवि मीत*
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