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8 मार्च 2017

|| गुरु ज्ञान छप्पय || ||कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

                *||रचना - गुरु ज्ञान ||*
                       *|| छप्पय ||*
    *|| कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
      गुरु चरण के काज राज रज पट नव लिन्ना,
      गुरु चरण के काज नाम नव  रंग ज किन्ना,
      गुरु चरण के काज वेद सब भेद ज जाण्यो,
     गुरु चरण के काज अज अंही लोक वखाण्यो,
    धरम करम मन उर धरी, जीवन समज सुख सार्यो,
*मीत* कहे धन भाग कह्यो जे,काज सरे गुरु को धार्यो,(1)
         गुरु दिखावे राह चले राही पथ माही
         गुरु सिखावे चाह प्रभु समरण सुख पाही,
         धरे  रिदय एक नाम गुरु को मन्त्र  रटायो,
       करे सफल सुख काम जीवन को पाप हटायो,
     गुरु वर मन मुख नाम रटण, शरण रहे धरी भेख,
   *मीत* कहे धन भाग गण्यो जे,काज सरे सत टेक,(2)
      गुरु सिखावे गयान,ध्यान कर मन तू धरले,
      गुरु दिखावे मान,कान धर कर गण सरले,
      गुरु अपावे मोज,रोज हरी समरण करले,
      गुरु कढ़ावे दोष,रोष मत कर सब दरले,
सद गुरु साचो परवळे,जे जीवन पाप उगार दे,
*मीत*गणे धन भाग कह्यो जे,सुख कर पातक दार दे,(3)
*------मितेशदान(सिंहढाय्च्)------*
*कवि मीत*

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