|| शस्त्र प्रदान,रामायण महागाथा माथी,,,,||
||रचना प्रकार : छप्पय ||
||कर्ता:मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||
{जब विश्वामित्र ऋषि राम को अपने साथ मारीच और सुबाहु का वध करने के लिए ले गए तब वन में ताड़का का भी राम ने वध किया तो उसके वध पश्च्यात ऋषि राम से प्रसन्न होकर अलभ्य शस्त्रो का प्रदान करते है)
दिया शस्त्र कर दान,मान खूब रामा तुज पर,
किया सज्ज सनमान,ध्यान दिनकर कोधरकर,
वरण रूप धर श्याम, राम रघुनंद आया,
धरण भूप मरजाद,याद अज करण द्रसाया,
असुरा मारण हाथमें, शस्त्र धरे रघुराम,
धरणीधर वंदन वारणा, मीत रटेतव नाम(1)
मन मुख धारण स्मित,हेत रामा दरसावे,
शस्त्र प्रहारण रीत,ऋषिवर सत समजावे,
शक्ति साथ सह भेद,वेद सब ज्ञान जणावन,
सदा राख नित टेक,एक मरजाद निभावन,
असुरा मारण हाथमें, शस्त्र धरे रघुराम,
धरणीधर वंदन वारणा, मीत रटेतव नाम(2)
परत शस्त्र फरताय ,दिया कर दान प्रजाणं,
हणण दैत हरताय, किया वर दान सुजाणं,
काट काट कर नष्ट, दैत को पंथ हटावण,
मती दैत कर भ्रष्ट, जगत को पाप रटावण,
असुरा मारण हाथमें, शस्त्र धरे रघुराम,
धरणीधर वंदन वारणा, मीत रटेतव नाम(3)
सत्यवान शूल अस्त्र, शस्त्र धर जूठ निवारण,
सत्यकीर्ति उपलक्ष्य,लक्ष्य सर कष्ट विदारण,
पराड मुख प्रतिहार,दैत मुंडन छेदन तू,
अवान्मुख हथियार, द्वार अजरा भेदन तू,
असुरा मारण हाथमें, शस्त्र धरे रघुराम,
धरणीधर वंदन वारणा, मीत रटेतव नाम(4)
🙏----मितेशदान(सिंहढाय्च)----🙏
*कवि मीत*
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