25 मई दुनिया के लिये तारीख, मेरे लीये सदमा
ऐक साल हो गया लखुबापु को विदा लीये, मगर आज भी वो मेरे झहन में वैसे ही झिंदा है,
जैसे हुआ करते थे. आज चंद अल्फाझ कमल उनके चरणों में बेटी होने के नाते करती हूँ.
बापू देखो ना आज
मैं कितनी सायानी हो गयी हूँ.
आँखों में नमी नहीं आने देती
सदा मुस्कुराती हूँ.
खुद हँसती हूँ और,
सबके चेहरों पे हंसी लाती हूँ.
आपने ही सिखाई थी न ये सीख ....
संतुष्टि के धन को संजोना
वोही सब कर देता है ठीक...!
आप सदा कहते थे न
मैं आपका अच्छा बेटा हूँ
मैं अच्छी भी बन गयी हूँ
अब तो लौट आओ ना बापू !
बापू आपके बिना तो मैं
सागर हो कर भी मरुथल हूँ.
सर्व शक्तिमान होकर भी
निर्बल हूँ,
(सबके बीच स्वयं को भुला कर भी
आपको नहीं भुला पाती बापू !)
बापू तो सदा बापू ही रहते हैं ना
फिर आप ' बापू थे' कैसे हो गए ?
मैं तो आज भी आपकी ही बेटी हूँ.
अब तो लौट आओ ना बापू !
-हिमानी💐
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