.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

16 जून 2017

शैलेषदान चारण

घर ना धणी ने रोज धमकावे, (अ)ने बार बने बौउ शाणी;
मुवा पेंला पुछी ना जोयुं, पछी पींपडे रेडे पाणी.

आपणां वडवा खुब सरस कहेवत कही ग्या छे.

थोड़ा ज शब्दों​मां आपणा समाज अने आपणी संस्कृति मां दांपत्य जीवन मां शंखीणी (शास्त्रोमां वर्णीत पांच प्रकार नी स्त्रीओ पैकीनी एक) प्रकार नी स्त्री वीषे घणुं कही दीधुं छे.

शास्त्रो मां कह्या प्रमाणे शंखीणी स्त्री कंकासणी, कुल्ला, असत्य बोलनारी, अने चरीत्रहीन होवाथी पोताना पतीने ज सौथी मोटो शत्रु गणे छे.

घर मां पतीनुं अपमान करी बहार पतीव्रता होवानो ढोंग करती होय छे.

आवी स्त्रीओ पतीनां जीवतां-जीवे कोई दीवस सुखे बटकु रोटलो य खावा नथी देती अने पाणीनुं पण पुछती नथी.

पण पतीना कमोते मुवा पछी पींपडे पाणी रेडवा जाय छे. ऐटले के दान-धर्म ने दक्षीणा करवा नीकडी पड़े छे.

आपणे आपणी संस्कृति अने समाज ने पहेलां आवी स्त्री ओ थी बचाववो पडशे. कारण के आवी स्त्री ओ ना पेटे तामो गुणी, भोग विलासी अने आसुरी संतानों ज जन्म ले छे. जे सर्वत्र मात्र वीनाश ज वेरे छे.

समाज अने संस्कृति नुं रक्षण करनारा दानी, वीर अने धीर महापुरुष ने पवीत्र अने चरीत्रवान स्त्री ज जन्म आपी शके.
अने तो ज ऐक महान समाजनुं नीर्माण थई शके.

- शैलेषदान चारण

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT