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2 जुलाई 2017

|| वर्षाऋतु || || कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

*||रचना: वर्षाऋतु ||*
    *||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
          *|| छंद:सारसी ||*

घन घरर गाजे,व्योम वाजे,खलक वरह्या मेघळा,
लाव्या आषाढे,हय हुलासे,वर्ण व्याप्या वेगळा,
हरियाळी चिर धर,धरण शोभे,मीत मनखा मलकता,,
गडडड गुंजावत गीत वादळ हडड नादे हलकता,(1)

गुजरात नी धरणी भीनाशी नीर छलक्या निरमला,
फूटी फोरमती पान कुंपण झाड़वा झरता हला,
मयूराव गुंजन गीत गाता खगा कलरव झलखता,
गडडड गुंजावत गीत वादळ हडड नादे हलकता(2)

प्रलेकाळ तळळळ,जेम तांडव नाथ कैलाशी करे,
रिझते रमावण राज ने खीजते डुबाड़े सर परे,
समंदर तणा बँधायेला नीर वेरता जे छलकता,
गडडड गुंजावत गीत वादळ हडड नादे हलकता,(3)

खर धान्य उभा खेतरे तरु वाट जोता  मेघनी,
अंबर सुका जे थया आषाढ़ी गगन वादळ मेदनी,
लहेरों लटकती नाखतो महक्या ए वादळ वलखता,
गडडड गुंजावत गीत वादळ हडड नादे हलकता,(4)

*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*

*कवि मीत*

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