*|| रचना: योगनिंद्रादेवी नी स्तुती ||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*||छंद:नाराच ||*
समुद्र माही सोवतं ध्यान विष्णु धारतं,
चटक तेज चंदकाय,शीत सोम सारतं,
भये अळ्या के भारतार,शेष निद्रता सरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी,(1)
कटीत काल कर्णमें,असुर उत्पना अजेय,
वहत मेल कर्ण वाट,दाट ब्रह्म दारवेय,
ए कैटभा मधुय काल,धर्म नाह को धरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(2)
विनाश ब्रह्म विष्णुको,सुदृढ़ दैत सम्मियां,
पलक्क दल्ल नाभी प्राण,पोषणे पूजंतिया,
जपेय ब्रह्म जापणा,खलक्क ईश्वरी खरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(3)
योगनिद्रा यामिनी,अखंड आत्मजा उठो,
संहार सृष्टि तू संवार,तारणारी मा त्रुठो,
अनुपमा अजेय आद्य,शक्ति तु सर्वेश्वरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(4)
सुधा तुही तुही सखा,जीवन तुही तुही जया,
उमा ही तू तुही अंबा,महैश्वरी महामया,
तुहि स्वरूप तापीणी,दरिद्र दाटती दरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(5)
भवे भजा भुजालिका भ्रमण्ड लोक भारती,
निशा दीना हवा नूरा,धरा नभा तु धारती,
उगारती उबारती सुधारती सुखेश्वरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(6)
प्रचंड चंडिका प्रगट्ट योगनिंद्रा यामिनी,
सहस्त्र नैण सोहिता,रुपे त्रिकाल रागिनी,
ध्रबांग धर धृजाव कोपिता भयी कृपा करी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(7)
खटाक तेग खोपिया तने असुर त्राडिया,
धरा रकत्त ढोळीया,विनाश काल वाडिया,
चिकार त्राह चंडिका प्रवीण तु प्रमेश्वरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(8)
मु शब्द तू बिराज मात भद्र कालिक भजु,
समीप सुख व्याप सर्वदा हृदय में हजु,
नाराच छंद नाद *मीत* गावतं गुणेश्वरी,
नमोस्तु काल नाशिनी,अजा विकाल ईश्वरी(9)
*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*
*कवि मीत*
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