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20 जुलाई 2017

||शिव तांडवा स्त्रोत पंचक || || कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

*जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,*
*दाखत रिझ तू दयाल,नटवर हर नामी,(टेक.)*
  
    *||रचना:शिव तांडवा स्त्रोत पंचक ||*
             *|| छंद - चर्चरी ||*
     *||कर्ता:मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च)||*

मनहर रूप अज महान,विफ़र्ये विकराळवान,शकत्ति शिव हो समान,हरदख हामी,
भभूत अंग भजत भाण,पृथ्वी पर प्रगट प्राण,
पापहरण तू प्रमाण,कुदरत कामी,
डमरू कर त्रिशूल डंक,राखत रिदयेय रंक,
आपत भक्ति को अंक,गिरजा गामी,
जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,
दाखव रीझ तू दयाल,नटवर हर नामी, *(१)*

त्रिघट त्रिघट सटीक ताल,मलकत मन बन मृणाल,
कळक्यो धरणे विकाल,भैरव भळके,
गावत गांधर्व गाण,सरसती सुर दे सुराण,
जोगन्धर जगतजाण,ज्वालो जळके,
ढोलक धिन कट धिमाक,झंझक झालर झमाक,घूंघर पद गजत धाक,दाता सर्व दामी,
जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,
दाखव रीझ तू दयाल,नटवर हर नामी *(२)*

थैथट कर थिरक थाट,ठुमक ठुमक पद थपाट,झटके तिरशूल झपाट,वटके वैरागी,
पटके चौपाट पाट,क्रोधीत असुराण काट,
खेड्यो खलके खपाट,तनमन तुर त्यागी,
लोचन त्रय लालचोळ,मुंडन दैत्या मरोळ,
झाली खड़गे झबोळ,धरण बार धामी,
जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,
दाखव रीझ तू दयाल,नटवर हर नामी *(३)*

घट घट गरला गटक्क,जल नह धर हर जटक्क,
पट गिरीवर पूण पटक्क,कर्पदी कामारी,
भैरव भूत बन भटक्क,ब्रम्हा शिरपंच बटक्क,कालकेय तू कटक्क,शंभु सुखकारी
नर्तक बन नाच नट्ट,फरकत फुदड़ीय फट्ट,
धा धिन कट कट ध्रुजट्ट,वीरभद्रा वामी,
जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,
दाखव रीझ तू दयाल,नटवर हर नामी, *(४)*

*(कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले)*
*(कामारी - कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले)*

अटकळ लट गंग आव,तट नह लटके तणाव,शम्भू शिर धरण साव,जाप्यो जप जोगे,
आपत अनहद उजास,पावन कर पतित प्रास,तारण हर कपट त्रास,भगति मत भोगे,
शरणे तुज नमन शीश,आपो *मीत* शुभाशीष,
जापू हर जगतधिश,नमः हर नमामी,
जय जय शिव शंकराल,मंगल कर महाकाल,
दाखव रीझ तू दयाल,नटवर हर नामी, *(५)*

*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*

*कवि मीत*

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