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27 जुलाई 2017

केज्यो आवस्युं काल

वरसाद ना वातावरण मां बहार गाम गयेल घरधणी पोताना घरे समाचार कहेवडावे छे के आजे नई अवाय काले आवस्युं.. एनुं कारण दर्सक गीत....

.          *केज्यो अमे आवस्युं काले*
.      *रचना: जोगीदान गढवी(चडीया)*

.                       *दोहो*
संदेस मारो साजणा,तुं, सांभळ साचो साच
जळ नो आभे जोगडा, निरख्यो तांडव नाच

.                        *गीत*

हाईवे पर होडकां हाले रे...
केज्यो अमे आवस्युं काले.....टेक

नदीयुं गाडी तुर आ नाहे, चडीया कांठे चार
झिक झिले नइ झाडवां एवो, मंडीयो मुसळ धार
आडे धड माग ना आले रे...
केज्यो अमे आवस्युं काले..01

जळ केरा जे जीववा आशे, बांधीया हुता बांध
तुटतां भळी थ्येल ताराजी, धोम मचावी धांध
वरहावी आफत्युं वाले...
केज्यो अमे आवस्युं काले..02

आंम भुका जांणे आभ माथेथी, काढीया चारे कोर
ठोर वरहे एनी ठंडीये ध्रुजे, ढाळीये बांधेल ढोर
मेघलीयो मौज मां म्हाले रे...
केज्यो अमे आवस्युं काले..03

गोम धणेंणीन वादळां गाजे, क्रोड गोपी अने कान
मेघ आकाशी राहडो मांड्यो, जोई ल्यो जोगीदान
त्रांबाळु ढोल ना ताले रे...
केज्यो अमे आवस्युं काले..04

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