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18 सितंबर 2017

नागय केम थइ नमेरी रचयिता:- स्व.श्री आपाभाइ गढवी


नागय केम थइ नमेरी...

नोंधारा गई छो मेली,आंखडीयुं मां खळके ऐली
वळामण करने वेली,बाइ अमाणु कोइ नंइ बेली रे...
नागय केम थइ नमेरी...टेक
माडी नथी मुखडा जोया रे,खोळा  ना हेत मैं खोया
राते आंसु नेणला रोया,तें ज वछोयां बाळ  ले तेडी रे..
नागय केम थइ नमेरी
हेमाळा  नी केडीए हाली ,नोती अमे वेल हंकारी
एना छे ओरता भारी,भुल अमारे भाग्य लखेली रे...
नागय केम थइ नमेरी
गुनाओ नो कर गुझारो,माडी हुंतो बाळ छुं तारो
हवे एक आप होंकारो,वात विचारोे वळजे वेली रे..
नागय केम थइ नमेरी
कहुं ओल्या काळ  दुकाळे रे,गुन्ना  जेम झाळ गुजारे
वेलासर आइ विचारे,आप कवि नी वात छे छेली रे ...
नागय केम थइ नमेरी

        रचयिता:- स्व.श्री आपाभाइ गढवी

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