*कामई क्रोध नागणी काळी*
कामई बीज ना दिवसे भिमरांणे मां मोगल अने द्वारिकाधीस ना दर्शन थी वळतां यसवंतभाई लांबा नो फोन आव्यो के मां कामईये काल रात नो मने सुवा नथी दिधो..जोगीदान मां तमने याद करे छे...अमे त्यांथी सिधा खजुरीये नेह नदि कांठे आई ना दर्शने पोग्या..मा ने वंदना करी..ने मनमां आई नी सरज नो भाव सरु थयो...
बिजेज दिवसे यसवंतभाई नो जन्मदिन होई सरज मां नामाचरण पंक्ति मां तेमनो नामोल्लेख करी तेमना जन्मदिन नी भेट रुप आ सरज मा कामई ने चरणे धरुं छुं...
. *कामई क्रोध नागणीं काळी*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
. *ढाळ: रखैया रावळी परज*
कामई क्रोध नागणीं काळी, जाळ्यो उभो जाम जोराळी रे..वंदु हुं खजुरीया वाळी...टेक
जाम धणीं एनी जात भुल्यो,ने न्याळीयो चारण नेह
कर्म हिंणें किध नजर्युं कुडी, आतमे खोई उजेह
पितानी प्रत नो पाळी, भोगीये मात नो भाळी रे, कामई क्रोध नागणीं काळी..01
बोलीयो आडां बाटीयांणी ने, ई काळमुखो रे कवेंण
पछी
भागतां एने भोम थई भारे, ज्यां निरखी आग्युं नेंण
भ्रेकुंडा रुप ने भाळी, लागी आखो आभ लाजाळी रे, कामई क्रोध नागणीं काळी..02
आंण उथापी ई अधमीये त्यांतो जाळवा पोगी जोत
लाय जाडेजा ने अंग लगाडी, मारीये भुंडे मोत
नोखी जग मात नेजाळी, चारण जगदंब चुडाळी, कामई क्रोध नागणीं काळी..03
आज वळी यस वंत लांबाये, आपीयुं मा नी याद
जाव कवि जोगीदान जुहारो , सगती पाडे साद
तापे त्रण लोक तेजाळी, हालारी मात हेताळी, वंदु हुं खजुरीया वाळी...04
🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें