ll छंद छप्पय ll
चढि बूंदी चहुवाण, महल मै आयो महिपति
नोमो दन नरनाथ, पाडियो पाडण परभति
अणगत भैसा आणि, बहोत बक्कर जिण बारा
तेगा सिर तोडिया, बहे श्रोईण बजारा
बाजता राग सिंधू सबद, दारण भड सतसल दुवौ
सोहडा थाट मांडी सबळ, हाडौ गढ दाखिल हुवो
नोमो दन नरनाथ, पाडियो पाडण परभति
अणगत भैसा आणि, बहोत बक्कर जिण बारा
तेगा सिर तोडिया, बहे श्रोईण बजारा
बाजता राग सिंधू सबद, दारण भड सतसल दुवौ
सोहडा थाट मांडी सबळ, हाडौ गढ दाखिल हुवो
*-चारण चक्रवर्ती महाकवि सुर्यमल मिशण*
*अर्थात:-*
बुंदी के महल मे चौहाणो का आगमन हो रहा है, प्रभात का समय है, अनगिनत भैसे और बकरिया लाई गई है जिनके सिर तलवारो से काटे जा रहे है, उनके लहुं से बाझारे लाल हो चुकी है, सिंधू राग बज रहा है, पारंपरिक चौहाण योद्धा किसी राग के समुह समान है, हाडा चौहाण गढमे दाखिल हो रहे है
बुंदी के महल मे चौहाणो का आगमन हो रहा है, प्रभात का समय है, अनगिनत भैसे और बकरिया लाई गई है जिनके सिर तलवारो से काटे जा रहे है, उनके लहुं से बाझारे लाल हो चुकी है, सिंधू राग बज रहा है, पारंपरिक चौहाण योद्धा किसी राग के समुह समान है, हाडा चौहाण गढमे दाखिल हो रहे है
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