*ll विहळ राबा रा बखांण ll*
*(छंद प्रकार दोहरा)*
परंपरा साची परज, जूक्यो नही जराह
द्वादस नै हसकै डणक ,नाखी जुद्ध नराह *(१)*
तेगा मारी तुरक सू, बिंध्या अंग बरंग
कंग छताह अपंग किय, राबा जाजा रंग *(२)*
नाम रटी रवराय निज, मुख मांगी पत मोळ
ते पछि जुध मांही तुरक, राबा दीधा रोळ *(३)*
बंका चारण बिग्रहे, हा हा कीधो हास
पछै विधाता पोथ किय, सहि राबा साबास *(४)*
जयति रवेची मुख जपी, जावत रावत जंग
खाग चलावत खेत सू, सगती राबा संग *(५)*
परधर्मी पतसाह रो, दसकंधा सम दाम
फरे पास नाही फिकर, राबा ऐसो राम *(६)*
थकरा सा पुग्या थलै , आंबरडी अकराह
बकरा पकराया बधा, नाखै चीर नराह *(७)*
थर थर पग हर थावता, धगधगती थी धार
सगती जगजाती सुणी, पूरा नरा प्रहार *(८)*
क्रोध कियो तो कमधजा, गर्व किए गुहिलोत
चक रच्छक चौहाण सम, नाम नरा रो गौत *(९)*
पावौ जो परलोक पथ, बळिया सह भर बत्थ
सगती राबा सत्थ मै, शाखा नरा समत्थ *(१०)*
*-धार्मिक जासिल 'मयूख' रचित*
*संपर्क:- 9712422105*
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