*||रचना: आई वरेखण वंदना ||*
*|| छंद : पध्धरी ||*
*|| कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढ़ाय्च) ||*
वरणु विख्यात महमाइ मात,जगदंब जपु मन जयति जाप,
अखिलेश रमा अविनाश आद्य,विख्यात कीरत रव शक्ति नाद्य,(१)
भव हर भय दारण भंजणी,रम्या रवि रोकत रंजणी,
समिता सुख देणी रहो सहाय,ममता मधु मीठप तू महाय,(२)
सर सर सत गत मोळी शगत्त,अवगत आघी ठेलो अंगत,
व्याधि काटो वरेखण विशाल,कच्छ धरण बैठी मा तू क्रिपाल,(३)
प्रति टेक रेख जिय पेख प्राण,परगट प्रतिपल तोळा प्रमाण,
निरखै निवार हर दर्द नित्त,चवू चंग रखे प्रफुलित्त चित,(४)
विश्वेश्वरीय वरदायनी,असुराण हरण
अधहारानी,
जगतारणी तू जय चण्डिके,नमू वीसभुजाळीय अम्बिके,(५)
वृख वृति मन्न सुर वदत हित,सदगति प्राण जीव रहत नित,
गगनेय गूज तोराय गीत,महामाया शरणे नमु *मीत*(६)
*🙏---मितेशदान(सिंहढ़ाय्च)---🙏*
*कवि मीत*
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