🌹 *पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला* 🌹
*गजब हाथे गुजारी ने पछी काशी गया थी शूं ?*
*मळी बदनामी दुनिया मा पछी नाशी गया थी शूं?*
आ नरी वास्तविकता ना घुटडा गळे उतारावि, इ सुगम ना पाया नाख्ता नाख्ता पिंगलशी पाताभाई नरेला लोको ना ह्रदय मा वॉट्सप नी स्पीड़े आज थी 159 वर्ष पेहला प्रसरि रह्या हता,
तो बीजी बाजु अड़ाभीड़ शूरवीरो ने बिरदावी,
एना रोम रोम मा शौर्य ना फुवारा छूटे ऐवा युद्ध वर्णन, अने शूरवीरो ना मडदा पण उभा थय ने युद्ध लड़े ऐवो शौर्य रस इतिहास ने आप्यो,
कर धरी तलवारम , कमर कटारम्,...बंदूक दहाडम, हा हा कारम होंकारम...
के
वित्त वावरवा नु, रण चड़वानु, ना मर्दों नु काम नथी..
ऐक तरफ विद्वान् फिलोसोफेर ज आपि शके ऐवो जीवन नो फलसफो
चित चेत सियाना, फिर नही आना, जग मे आखिर मर जाना.. मा आप्यो
पिंगलशिभाई अहि सुधी प्रखर अने लोकप्रिय राजकवि तरीके ख्याति पाम्या हता,
परंतु जीवन ना ऐक वळाक बाद कवि नि कलम कृष्ण भक्ति तरफ वळे छे,
अने आजेय गांडी गीर ना नेहडा थी मांडी ने रात्यु नी रात्यु हालति संतवाणी मा गवाता भजनों जेवा के
केहवु शूं हवे तमने रे काना , नन्द कुंवर नथी नाना,
के पछी आखा नागदमण ने समावी लेतु
प्रभु आव्या धीरे धीरे, जमुना ने तीरे, श्याम शरीरे, करवा सघळी वात,
जेवा अद्वितीय भजनों आप्या.
अही चन्द्रवदन मेहता लखे छे के भजन-गीतो मा नरसिंह मेहता, दयाराम, धीरा, मीरा ना पदों नी अडोअड़ बेसी शके तेवि काव्य कृतिओ पिंगळशी भाई नी छे तो क्यांक टूंक मा गूढ़ ज्ञान ना किमीया अखा नी याद आपि जाय छे.
अहिया थी पिंगलशिभाई संत कवि ना दरज्जे बिराजित थया,
ने पिंगळशी बापु तरीके लोकसम्बोधित थया.
गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी, ड़िंगळ, व्रज अने संस्कृत भाषा अने साहित्य साथे तेमणे वीररस, शृंगार रस, अने करुण रसमा साहित्य सर्जन कर्यु. तेमज दूहा, छंद, प्रभाती, लावणी, गझल, अने लोक गीत जेवा अन्नेक प्रकार ना काव्यो नी रचना करी अने ते पण ताल साथे.
ने.नामदार भावनगर ना प्रजावत्सल राजा कृष्णकुमार सिंहजी लखे छे के
पिंगलशीभाई नरेला नु व्यक्तित्व खरेखर जाज्वल्यमान हतु.
तो *जवेरचंद मेघाणी पिंगलशिबापु ने*
*"सर्जन शक्ति नु पुंज", ऐक *"देवतुल्य कविराज"*, *"चारण शिरोमणी",*
*"अखंड आराधक"*, *" शुभ संस्कारो नो मानव देहे विचरतो स्तंभ",*
अने
"मध्य युग ना छेल्ला संस्कार मूर्ति चारण" जेवा अन्नेक मान सभर सम्बोधनों थी नवाज्या छे.
फारबस छावणी मा प्रख्यात कवि अने पिता ऐवा दलपतराम अने कनैयालाल मुंशी साथे थएल गाढ़ मित्रता बे पेढ़ी सुधी चाली आवती जोईने कवि श्री नान्हालाल कहे छे के मने पिंगळशीबापू प्रत्ये पूज्य भाव हतो,
तेओ *"भावनगर नी काव्य कलगी"* अने *"महाराजा ना मुगट नो अमूल्य हीरो"* हता.
चारण ज्ञाति ने गरास पाछो अपावनार , अने चारण बोर्डिंग ना स्थापना करनार आ महान कवि ने
चारण समाज, राजवि परिवार, तेमज गौरववंताओ ने ओलखनार समाज हमेंशा याद राखशे.
✍🏻 *-धर्मदिप नरेला*
18.04.2018
अखा त्रिज, भावनगर नो 296 मो जन्मदिवस
पूज्य संत कवि श्री पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला ने अर्पण
करता भावनगर म्युन्सिपल कोरपोरशन नो *आभार* ।।
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