*|| : सोनल आद्य स्वरूप : ||*
*|| : कवि मितेशदान महेशदान गढवी (सिंहढाय्च) : ||*
*|| : दुहा :||*
*पोष बिज पुरषार्थने,धरो जगावी धुप,*
*मानो आ मितराय के,सोनल आद्य स्वरूप,(1)*
*जगदंबा नित जागती,काट विकार कुरूप*
*मानो आ मितराय के,सोनल आद्य स्वरूप (2)*
*मीठप तोरी मावड़ी,अक्षत आई अनूप*
*मानो आ मितराय के,सोनल आद्य स्वरूप(3)*
*अम अवगुणे आईतु,चुके न आयल चुप,*
*मानो आ मितराय के,सोनल आद्य स्वरूप(4)*
*सत बेली संसारनी,आरंभ तुही उप*
*मानो आ मितराय के,सोनल आद्य स्वरूप(5)*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मीत*
9558336512
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