*||रचना: हल्दीघाटी युद्ध में
राणा प्रताप का युद्ध वर्णन ||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च)||*
*|| छंद पद्धरी ||*
रम जुद्ध रक्त पट राण राय,बहकत्त मुगल भळक्यों बिताय,
दळबळ फौजा डहकेय डाक,जम चल्यो हरण जीव दैत जाक,(१)
ग्रज वद्ध अकळ मध रज्ज नभ्भ ,रज मेघ पकड नभराट रभ्भ,
हुहकार हट्ट कट विकट होम,वर तुरंगपथी परताप व्योम,(२)
दळ सहड बाज बहलोल दाट,कळ पकळ राण हथ तेग काट,
जळ जकळ मुंड पळ तुंग जोड़,तही चढ़ कुध्धो धड दियो तोड़,(३)
सचीराट त्राटके करे सांग,मथ राण काट बन इलम रांग,
हहुकाट थडक्के हया हाक,अह्रींमान कर्ण निज फाटआक,(४)
धर जुलमवध्ध रड़े कटे धार,हिंदवो हुँकारे भय मुग़ल हार,
चौ दिश चीख्ख दिया मुघल चोर,दैत्यों संहार फुट गयो दौर,(५)
हलदीय रंग लहु भंग होड़,ककळाट भले मुघलाय क्रोड,
अकबरा अंग थरथरे आट,डर गर्यो नफट निज निकट डाट,(६)
कळपे धधक आसफ्फ कोट,दल छंड फळफळे दियो दोट,
कटके वधेर कटकट कमोत,हथ धड़ बछुट पथ मथ्थ होत,(७)
मध गगन शोर महेक्यो महान,जद रंग हल्दीयो लग जहांन,
शक्तिय संग *मित* रहसदाय,जयजय प्रताप महाराण राय,(८)
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
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